लैंसडौन : एक सुहाना सफर (भाग 2)

लैंसडौन : एक सुहाना सफर (भाग 2)

मार्च के पहले हफ्ते में मुझे नोएडा सर्किल ऑफ़ मॉम्स नाम के एक ग्रुप के लेडीज़ ट्रिप के बारे में पता चला। ट्रिप 14 अप्रैल को होना था 15 मार्च तक सबको अपनी सीट बुक करनी थी।

बचपन से लेकर आजतक मैं कभी भी अकेले किसी ट्रिप पर नहीं गयी थी। ना कभी स्कूल से ना कॉलेज और फिर परिवार की जिम्मेदारियों में तो संभव ही नहीं हो पाया। स्कूल और कॉलेज में जब भी कोई ट्रिप गया तो मैं चाह के भी नहीं जा पाई। मन में एक इच्छा थी, जिसको पूरा करने का मौका मेरे सामने था। लेकिन एक महीने पहले से कैसे हां कर दूँ। आप समझ सकते हैं परिवार और परिवार की जिम्मेदारियां। लेकिन इस बार इच्छा और किस्मत दोनों मुझे मेरे घोंसले से बाहर निकालने की सोच चुके थे। एक-एक कर दिन कट रहे थे और मेरे दिल की धड़कन बस एक ही बात सोच रही थी क्या इस बार मैं अपनी ये इच्छा पूरी कर पाउंगी। दिन पास आते जाते, मेरे दिन की धड़कन और मैं ताना बाना बुनते। 13अप्रैल की रात उत्सुकता में नींद ही नहीं आयी।

14 अप्रैल, शनिवार का वो दिन भी आ ही गया। सुबह 5.15 बजे मैं नोएडा सिटी सेंटर पर कुछ जाने पहचाने तो कुछ अनजाने चेहरों के साथ खड़ी थी। 6 बजे शुरू हुई मेरी जिंदगी की पहली केवल महिला आमोद यात्रा(girls only trip)। क्या जोश था हम सब में!! किसी के चेहरे पे थकान थी ही नहीं। थी तो बस एक चमक, खूबसूरती की चमक, ख़ुशी की चमक, अपने पलों को जीने की आस की चमक।

क्या क्या मस्ती नहीं की हमने रास्ते भर। यहाँ तक कि गन्नों से भरी लोरी से गन्ने भी चुरा कर खाये। ऐसा लग रहा था जैसे बचपन लौट कर साथ चल रहा हो। करीब 1बजे हम रिसोर्ट पहुँचे, जो की लैंसडौन से 30 km पहले दुग्गड्डा में खो नदी के किनारे पर बना हुआ था। रिसोर्ट में ठहरने के लिए टैंट थे। काफी बड़ा और खुला इलाका था। सब अपना सामान रख, फ्रेश हो खाने के लिए आ गए। बड़ी भूख लगी थी।

करीब 2.30 बजे हम सब तैयार थे अपने आगे के सफर के लिए। पहले हमारे प्रोग्राम में तारकेश्वर महादेव मंदिर जाने का प्लान था पर देर हो जाने के कारण हमने वहां जाने का इरादा छोड़ दिया। अब हम लैंसडौन की ओर चल दिए। क्या खूबसूरत नज़ारे और उस पर दोस्तों का साथ। जवानों की दौड़, टैंकरों की सलामी,फौज की जांबाज़ी सब देश प्रेम की महक दे रहे थे। सबसे पहले हम भुल्ला ताल पहुँचे। ये एक मानव-निर्मित लेक है जिसे मुख्यता वहां रह रहे फौजी और उनके परिवार वालों के मनोरंजन के लिए बनाया गया था। आसपास छोटे छोटे पार्क, जॉगिंग ट्रेक और कुछ दुकानें है। हमने खूब मजे किये। यहाँ फोटो, वहां फोटो, ये पोज़, वो पोज़। क्या शोर मचा दिया था हमने। वहां से निकले, एक फ़ौजी भाई से टिप एंड टॉप का रास्ता पूछा तो उन्होंने वहीं से एक ट्रैकिंग वाले रास्ते की ओर इशारा कर दिया।

बस में बैठे तो लगा की छोटी सड़क पर बार बार बस का चढाई चढ़ना उतारना शायद मुश्किल हो तो दो चार लोगो को छोड़ हम पैदल ही टिप एंड टॉप पॉइंट की तरफ बढ़ लिए।  आप तो जानते ही हैं कि पहाड़ों पर अंधेरा भी जल्दी हो जाता है। उस पर फौजी भाई ने हमे जानवरों का डर दिखा दिया था। शुरू में चढाई चढ़ने में लगा जैसे जान निकल रही हो। उस पर किसी से रास्ता पूछा तो उसने कहा आप गलत रास्ते पे आ गए हैं। फिर से शुरुआत की अँधेरा अब गहरा होने लगा था। झाड़ियों में जरा सी सरसराहट भी डरा देती उस पर कुछ लोग शैतानी में अजीब अजीब आवाज़ें निकालते और डराते। करीब 11/2km के बाद कुछ रोशनी दिखी। पास पहुचे तो सेंट मैरिज चर्च की लाइट थी। लाइट में चमकता चर्च और पहाड़ों की ऊँचाई से दूर गावों में जगमगाती लाइट देख सारी थकान दूर हो गयी। लेकिन हमें तो अभी टिप एंड टिप तक जाना था। यहाँ पर भी एक फौजी भाई ड्यूटी पर थे उनसे रास्ता पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी ½ km और जाना है। 1/2km और इतना सुनना था कि कुछ लोगो ने आगे जाने से मना कर दिया। रात का डर भी सताने लगा। अँधेरा गहरा गया था अब तक पर उतराई मुश्किल नहीं लग रही थी। हँसते गाते हम बस तक आ गए। बस से रास्ते भर में मैंने आकाश में टिमटिमाते तारों से बात की। शहर की धूल मिट्टी ने जिन तारों के समूहों (सप्तऋषि और अन्य तारा समूह) को छुपा दिया था मैंने उनको देखा।

रिसोर्ट पहुँचते पहुँचते हमें 9 बज गए। सब थक तो गए थे लेकिन अभी तो पार्टी शुरू होनी थी। सबको 20 मिनट में डिंनिंग एरिया में आने की हिदायत दी गयी। 9.30बजे हम सब नदी के किनारे …बॉन फायर कर रहे थे। क्या ग़जब रात थी वो। हमने खूब डांस किया। खूब मस्ती की। दिल खोल कर बातें की। रात 12 बजे भी किसी का मन नहीं भर रहा था। कोई झूला झूल रहा था, कोई अपनी अपनी कहानी गढ़ रहा था। कुछ लोग अगले दिन का प्लान बना रहे थे। खैर मैं तो अपने टैंट में आ सो गयी। ठीक से सोती नहीं हूँ तो चेहरा थका सा रहता है और थके चेहरे में फोटो कहाँ अच्छी आती है।

रविवार सुबह 5 बजे टैंट के बाहर हलचल सुनाई थी। मैं भी मुँह धो बाहर आ गयी। आह! क्या सौंधी सौंधी हवा थी। किसी ने आकर बोला की चाय पानी का इंतज़ाम डिंनिंग हाल में हैं। वहाँ पहुंची तो देखा कुछ लोग पहले से ही नदी पर पहुँचे हुए थे। मैं भी चल पड़ी। एक कदम पानी में रखा और दिल को जैसे एक सुकून छू गया। ठंडा पानी जैसे हर दर्द को अपने साथ बहा ले जा रहा हो। नदी के पानी में खूब खेला लिया, अब बारी थी स्विमिंग पूल की। उससे पहले कुछ लोगो ने योगा किया तो किसी ने बैडमिंटन खेला। किसी ने सुबह की उजली धूप में विटामिन ‘डी’ लेना पसंद किया।

10 बजे हम सब नास्ता कर तैयार थे फिर से एक नए सफर के लिए। और आज का सफर था जंगल सफारी। जैसा की आप सब जानते हैं कि नेशनल पार्क लाखों हेक्टयर में फैला होता है। तो कॉर्बेट भी रामनगर से ले कोठद्वार तक फैला हुआ है। आप सफारी के लिए कोठद्वार भी आ सकते हैं। रिसोर्ट से बाहर आते ही देखा की हमें ओपन जीप में जाना है।हमारी तो ख़ुशी का  ठिकाना ना रहा। कॉर्बेट के लिए दरवाज़ा हमारे रिसोर्ट से करीब 5km की दूरी पर था। रस्ते भर हमने खूब मस्ती थी। खुली जीप में हम मदमस्त चिड़िया थी। जोर जोर से रास्ते भर गाना गाते, छोटे बच्चों को मुँह चिढ़ाते, आते जाते को लोगो से मस्ती करते। कुछ लोगो ने एक घर से आम भी चुराकर तोड़े। हम बच्चे बन गए थे।

हालाँकि अप्रैल का महीना था गर्मी लेकिन हमे जला रही थी। जंगल में पहुचे पेड़ो की छाव और नदी की धार मानो जैसे हमारा स्वागत कर रहे हो। जानवर देखने की आस होती, गाना गा उन्हें बुलाते। गर्मी ने इंसानों का ही नहीं जानवरों का भी हाल बेहाल किया हुआ था शायद, वे बेचारे खुद को घने जंगलों में छुपाये बैठे थे। हम जंगल में काफी अंदर तक गए। वहां के गेस्ट हाउस पर थोड़ी देर ठहर पानी पिया। फिर चल पड़े। यहाँ पर तीनो जीपों के ड्राइवर अपनी अपनी जीप वाले मैं रस्ते से हटा थोड़ा घने में ले गए। डर लगा पर फिर शेर चीता को देखने की आस थी। पर कहाँ !! हाँ लेकिन ये हिरन का परिवार जरूर दिखा जो शायद खेलने के मूड में था। कुछ जानवरों के अवशेष भी दिखे।

यहाँ से बाहर निकले तो एक खुला छोड़ बहुत एकड़ में फैला खुला मैदान था। जिसके बीचों बीच कुछ मिट्टी, बांस और फूस के कच्चे घर बने हुए थे। लोग भी रह रहे थे वहां। प्यास से गला फिर से सूख गया। दूसरी जीपों का इंतज़ार करने के बीच हमारी जीप से दो लोगो ने उन आदिवासी लोगो के घर देखने और पानी मांगने की सोची। थोड़ी देर में उन लोगो ने पानी के साथ साथ हमे बकरी के दूध की छांछ भी दी पीने को। हालाँकि बस दो घूंट ही पीने को मिले लेकिन वो स्वाद आज भी मुंह में पानी ला रहा है। इतने घने जंगल में किए करते होंगे वो अपनी गुज़र बसर!!!? मेरी एक साथी ने बताया कि बड़े साफ़ सुथरे और तरीके से बने घर थे उनके। दिल तो बड़ा था ही उनका।

अपने अपने जंगल सफारी के अनुभव ले हम वहां से रिसोर्ट वापस आये। करीब एक बज गया था। देर हो गयी थी हमको, क्यूंकि ये गावों के रास्ते तो कम भीड़ भाड़ के होते हैं, लेकिन शहर में रात को भी ट्रैफिक में फंस जाने का डर होता है। जो जल्दी जल्दी सब ने खाना खाया। सामान बंधा। रिसोर्ट की मालकिन और केयरटेकर एक 60 साल की आंटी जी थी उनको अलविदा कहा। करीब 2.45 हमने रिसोर्ट को अलविदा कहा। मन नहीं था आने का दिल तो था कि उन्ही वादीन में और ठहर जाएं। पर हम शहरी परिंदे थे कितने दिन अपने घोसलें से दूर रहते। परिंदा दिन भर चाहे जहाँ घूमे जितना ऊँचा उड़े, पर शाम ढलते ही जमीन पर अपने घोंसले में ही लौट आता है। हमारा भी वही किस्सा था।

बस में हँसते गाते रहे। किसी को नींद नहीं थी। लगा की ये पल फिर मिले न मिले सो अपने इन नए दोस्तों के साथ  कुछ और पल बिता कुछ और यादें बना ली जाएँ। तस्वीरों में कैद करते जा रहे थे हम हर एक पल को। और फिर वो पल भी आ गया जब हम अपने अपने आशियाने की ओर जाने के लिए बिछुड़ रहे थे। सबने एक दूसरे से गले मिल एक दूसरे को अलविदा कहा। मन में एक सुहाने सफर की बेहद खूबसूरत यादों को हमेशा के लिए अपने दिल में बसा और दोबारा उड़ने की चाह लिए मैं भी अपने घोसलें में लौट आयी। अगले दिन से फिर वही बच्चे का स्कूल, हस्बैंड का ऑफिस, घर की जिम्मेदारियां और वही मेरे अरमान। हां! लेकिन, आज भी उस सुहाने सफर की याद मुझे यादों और ख़ुशी के लहर से भिगो देतीं हैं और छोड़ देती हैं मेरे चेहरे पर एक मीठी मुस्कान।

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Pooja Sharma

Amid being a Mom, a Wife, a Daughter, a Sister I am trying to live my life as a human. As who I am. I love to be myself. As a freelancer blogger, a poet, a story teller I am working with some prominent platforms. I describe my self as jack of all trades, but master of none as I don't wanna bind myself to certain limits, also being a master somewhere might stop my ability to learn.  The 3L Learn, Laugh, Live Mantra is what I follows. To know more, please connect with me through my profile.