तेरे होने से ही में हुँ…. मुझमें हर रंग तुम्हारा हैं।

ज़ाहिर करने को माँ की ममता को,
हैं अनगनित लोग यहाँ,
हैं लाखों शब्द यहाँ।
नहीं हैं तो बस बोल यहाँ,
के बिन औलाद के हैं
माँ का मोल कहाँ?
वो तुम्ही हो जिसके,
आने से मुझें ममत्व मिला।
वो तुम्ही हो जिसके आने से
सीने में ममता का उभार हुआ।
आने को मेरी गोद में,
तुमने भी तो कष्ट झेले।
नौ महीने का इंतजार सहा,
फिर क्यूँ सिर्फ माँ के
कष्टों का बखान हुआ।
तेरे आने से मेरी खाली गोद भरी,
जीवन मे खुशियों की बौछार हुई।
फिर क्यूँ सिर्फ माँ ही महान हुई?
तूने ही सिखाया हैं,
जीवन का महत्व मुझें,
तूने ही सिखाया हैं,
माँ का मतलब मुझें,
फिर भी गुरु का मान
सिर्फ मिला मुझें।
क्यूँ औलाद की तारीफ में
हैं नहीं कोई लेख यहाँ,
और कुछ करते हैं सिर्फ
बेटी का बखान यहाँ।
ये फ़र्क़ मुझें दुख देता हैं
क्योंकि माँ के लिए बेटा-बेटी
का एक ही ओहदा होता हैं।
तेरी बोली से जब “माँ” सुनती हुँ
तेरे प्यार से अभिभूत हो,
मैं ढेरों सपने बुनती हूँ,
तेरे होने से ही मुझें
मेरे होने का सार मिलता हैं,
फिर क्यूँ सिर्फ माँ
का ही गुणगान होता हैं,
तेरी नटखट अदाओं से
सुकूँ मिलता हैं,
जैसे प्यासे को पानी
का दरिया मिलता हैं।
कहते हैं लोग कि मैंने
तुझें जीवन दिया,
पर सच में तो तुमने ही
मुझें नया जीवन दिया।
मेरे जीवन को अपनी
किलकारियों से गुलज़ार किया।
मेरे सूने आँगन में तेरी
किलकारी से बहार हुईं,
फिर भी लोग कहते हैं
तुझें जन्म दे में महान हुईं।
© Copyright – Swati Atreya